Kavi Sammelan at IMB






 -Brian Mendonca

This Republic Day-eve I read two poems at the Institute Menezes Braganza, Goa. Both were from my third volume of poems Jasmine City: Poems from Delhi. They were '"Indian" Sunday,' and 'Call Me.' The poems and their translation were published in a commemorative volume brought out by IMB for the occasion. 


'Indian' Sunday


-Brian Mendonca 


With a copy of Janna's Yasodhara Carite
I set out at 6 to hear raag Lalit.
On a manch fringed with crotons sat Chaurasia
in the shade of the neem playing Krishna's flute.
At 10 I rested in the Mihman-khana of the Lodis
As the Sheesh-Gumbad towered over mortality.
For a table of dal, raita, hot rotis, aalu
I sup with Sanjay, his wife and two little daughters
As the desert cooler beguiles the sultry noon.
I return to my dwelling dropped by Sanjay on his scooter
and catch up with the times of India and Janna's queen.
A little bit of dusting, a little bit of washing
and the breezes mellow into Ghulam Ali's world

'कभी किताबों में फूल रखना
कभी दरख़्तों पे नाम लिखना'

(Lodhi Gardens, Delhi)


'भारतीय' रविवर

-ब्रायन मेंडोंसा

जाना के यशोधरा कारिते के कॉपी के साथ
मैं 6 बजे राग ललित सुन्ने के लिए निकल पडा
क्रोटन्स से घिरे हुए मंच पर चौरसिया
नीम की छांव में कृष्ण की बांसुरी बजाते बैठा हुआ था।
दस बजे लोढी के मिहमान-खाने में आराम किया
जहां से शीश-गुंबद चिरनजिवि साया।
दाल, रायता, गरम रोटियाँ, आलू के भोजन के लिए
मैंने संजय, उसकी बीवी और दो छोटी बच्चियों के साथ खाना खाया
जैसी कड़ी धूप भरी दोपहर को कूलर लुभाती है।
मैं अपने निवास स्थान वापस आ गया, संजय के साथ उसके स्कूटर से
और वही टाइम्स ऑफ इंडिया और जाना के रानी के खबरों में उलझ गया।
थोड़ी बहुत सफाई, थोड़ी बहुत धुलाई
और मधुर हवाएं चलती हुई गुलाम अली की दुनिया में, बस गए

'कभी किताबों में फूल रखना
कभी दरख़्तों पे नाम लिखना'

(लोढी गारडन्स, नई दिल्ली)
______________
-साक्षी शुक्ला द्वारा अंग्रेजी से अनुवादित


Call Me                                                                                                         

-Brian Mendonca

Call me
to your home
when the breezes are free and caring
not veiled in doubt and redress.
Call me
when you are lonely
in a world of shifting similitudes.
Call me 
when the noon-day sun
arches its brows to the West
its journey half-done.
Call me
to the hidden places
where your spirit roams free.
Call me
in your silences
when you are so far away.
Call me 
in the fullness
of a leaf in season.

Call me
in your quietness

And I will come.


मुझे पुकारो

-ब्रायन मेंडोंसा

मुझे पुकारो,
अपने घर
जब खुली और फ़िकरी हवाएँ चल रही हों
नाकी जब संकट या निवारण से सब ढका हुआ हो|

मुझे पुकारो
जब तुम अकेले हो
इस दुनिया की बदलती समानताओ में|

मुझे पुकारो
जब सूरज दिन की कड़ी धूप देती हुई
पश्चिम की ओर अपने भौरों को मोड़ते
उसकी आधी यात्रा सफल हो जाये|

मुझे पुकारो
उन्न छुपे जगहोन पर
जहां तुम्हारी आत्मा खुलकर जी सके|

मुझे पुकारो
तुम्हारी चुप्पियाँ मैं
जब तुम बहुत दूर रहो|

मुझे पुकारो
भरे हुए रंग
पत्तों के मौसम में|

मुझे पुकारो
अपनी शांति में

और मैं आऊंगा|
______________
-साक्षी शुक्ला द्वारा अंग्रेजी से अनुवादित

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Pic of Brian being felicitated by Dashrath Parab, Chairperson, IMB taken at the National Multilingual Kavi Sammelan at IMB, Panaji, Goa on 25th Jan 2024. Video of 'Call Me' by Amit Ranjan.

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